Monday 18 July 2022

जन्मदिन का उपहार



 जन्मदिन का उपहार


हाथ थाम खड़ी हुई पहली बार

गदगद हो पग बढ़ाऊं बारंबार

बना लिया था खेल,कोशिश करती

मुठ्ठी में आती जब भी कोई डंडी


हुआ विश्वास अपने पर,

जितनी बार गिरी भू पर

फिर कोई मिला सहारा

बड़ों ने प्यार से पुचकारा


खड़ी हो विकल्प नया देखती

टेबल कुर्सी तकिया या पाटी

घुटने घुटने चलकर जाती

उठती गिरती पकड़ती चलती

सन्तुलन बना कोशिश फिर करती


लिया मैंने अब बहुत सहारा

बनाया लक्ष्य मैंने दोबारा

अपने पैरों पर खड़ी मैं होऊंगी

जहां हो मर्ज़ी मैं चलूंगी


जन्मदिवस पर ये उपहार

दिया सबको पहली बार

बिना पकड़े मैं तो चली

डगडग डगडग मैं भली

फोटो खिंची हजारों बार

विश्वास बढ़ा जब ताली बजी 


लगी मुझे चलने की धुन

सारे घर में रुनझुन रुनझुन

गद्दा घास बालू कंकड़

हवा हो या पानी के अंदर

सब पर अपना पैर धराया

नया अनुभव मुझे ये आया

नया लक्ष्य फिर रोज़ बनाया


सोचूं अब मैं खड़ी खड़ी

चढ़ पाऊंगी चढ़ाई खड़ी?




मनीषा सक्सेना

१८/०७/२०२२


नातिन की प्रथम वर्षगांठ






 प्रभु प्रदत्त वरदान है.... अनायरा


मेरे आने की आहट सुनी मां ने

फूली नहीं समाई,

 डुगडुगी पिटी,

और जश्न मनाया सारे घर ने।

खत्म हुआ वनवास,

परदादी नानी का अहसास।


 मैं इक्कीसवीं सदी के,

 इक्कीसवें साल की कन्या

तोड़ी बेड़ियां तेरह की,

किया मंगलियों का उत्थान।

पाया ,रंग रूप पापा का,

मां  के गुणों की खान।

दादी ने गाई बधाइयां,

नानी ने बांटी मिठाइयां।

सुनके मामी दौड़ी आई

सबके लिए लाई बधाई।


मैं शांत व गंभीर,

सुनके भजन, होती तल्लीन।

सबकी गोदी में मैं जाती

दिल न मैं किसी का दुखाती।

सबका ध्यान मैं हूं खींचती,

निश्चल मुस्कान सबको मोहती।

हौले से बोली मामी गुड्डा

मामा चिढ़ाए छोटा बुड्डा ।

मामा ने फिर पैर दबाए

नींद के झौंके मुझको आए।


फूल पत्ती से विशेष प्यार,

उड़ती चिड़िया देखूं बारंबार।

बच्चों का साथ मुझे है भाता,

ना घूमूं शाम को तो रोना आता।


हुआ अन्नप्राशन, मजे हुए मेरे,

दांत भी आया तो स्वाद लिए भतेरे।

हर फल सब्ज़ी मैं हूं खाती,

पर दुद्धू मैं छोड़ न पाती।

कौर लाने में हुई जो देरी

चढ़ जाती है मुझ पे देवी।

चीला,पूड़ी,उपमा इडली,

चटकारे लेती, चटनी हो डली।


सेंव गाठिया और नमकीन,

बीनती अंगुली से छिन्न बिन 

दिया मुझे सहजन एक दिन,

टाला हंस के, दांत गिन गिन।

तरबूज़ का रस मैं टपकाती,

मम्मी पहनाती मुझे बरसाती।

आम की गुठली पकड़ न पाती,

जैली बना शरीर मैं सानती।

थोड़ी बदमाशी भी मैं करती,

चॉकलेट अपनी मैं न देती।


यदि खिलाया मुझे जबरन

दांत भींचकर कंपाती हूं तन।

जब करता है कोई मुझे परेशान,

चिल्ला कर करती हूं उसे हैरान।

खुरपेंच में लगता है मन,

खोल देती हूं शर्ट के बटन।


घुटने घुटने सारा घर घूमती,

पकड़ पकड़ के मैं हूं चलती।

रविवार को टी वी देखती,

बालगीत पर झूमती मटकती 

ताली से ताली मैं मिलाती,

जब भी होती दादी खाली।


बुआ पापा बोलती हूं अब,

बाकी इशारों से समझाती सब।

खेल खेलती अपनी ही परछाईं से 

 ढूंढें पापा तो झांकती दरवाजे से।

पोंछा मारना काम प्रिय है मुझे

हर छेद में अंगुली घुसाना है मुझे।


हल्की रोशनी में,खेलती अकेली

सोती बीच में, लोरी मैं सुनती।

सुबह का अलार्म हूं मैं सबका,

सेवा में रहता घर का हर तबका।

भगवान का रूप हूं मैं,ये सारे कहते

मिला घर को वरदान,ये सब मानते।

  मनीषा सक्सेना

१३/०७/२०२२


Tuesday 7 July 2020

जन्मदिन विशेष

मेरी मम्मी व बेटी के जन्मदिन पर

तुम ही हो

मेरे आगे भी वो पीछे भी वो,
एक
उम्मीदों की डोर
तो दूसरी
सपनों का छोर,
एक
कर्म की शक्ति
तो दूजी
आशा की सृष्टि,
दोनों ही बेजोड़ और अनमोल
सपनों की रानी और मेरा ऐश्वर्य
मेरी प्रेरणा  मेरी कर्म भूमि
तुम ही तो हो....
तुम ही हो।
मनीषा
7/7/2020

Monday 8 June 2020

नारी के विभिन्न रूपों पर हायगा (भाग 2)

नारीकी विभिन्न  छवियों पर रेखाचित्र बना कर उस पर हायकु लिखे हैं।











Sunday 31 May 2020

नारी के विभिन्न रूपों पर हायगा (भाग 1)

नारी  के विभिन्न छवियों पर हाइकु लिखकर हायगा बनाये हैं।
                   








Monday 25 May 2020

लघुकथा 34 अरमानों का मोहरा


लघुकथा ३४
अरमानों के मोहरे
सालभर से हर शनिवार को टी वी पर संगीत का प्रोग्राम आता है जो कि हम सास बहू का पसंदीदा है। सारे काम निबटा कर हम दोनों इसको ज़रूर देखते हैं। आज इस बच्चों के संगीत कार्यक्रम का फायनल राउंड  चल रहा हैं| एक घंटे का प्रोग्राम का समय भी बढा कर चार घंटे कर दिया गया है। शुरूआत से दिखाया जा रहा है कि किस तरह से विभिन्न राज्यों से आये लाखों बच्चों में से केवल ५ बच्चे इस अंतिम पड़ाव तक पहुंचे हैं| इन बच्चों की कार्यक्रम विशेष से जुड़ने की कहानी दिखाने के साथ ही उनके मेंटर कितनी मेहनत व लगन से अपने प्रतियोगियों को तैयार करते हैं ----बार बार दिखाया जा रहा है| फायनल प्रोग्राम से पहले बच्चों को ४ महीने बाद माता पिता से मिलवाया गया है तो उनकी ख़ुशी भी छोटे परदे पर दिखाई गई| नामी गिरामी कम्पनियों ने लाखों के इनाम इन छोटे –छोटे प्रतियोगियों के लिए रखे हैं---- बार बार स्क्रीन पर दिखाए जा रहे हैं | सबसे छोटा  ६ साल का प्रतियोगी जो कि सारे देश का चहेता बन गया था उसके बारे में सूत्रधार ने कहा कि यह अब स्कूल नहीं जाना चाहता केवळ गाना ही गाना चाहता है और परदे पर बड़े इठलाते हुए उसने हामी भरी तो जज साहिबा ने दिखावटी  क्रोध दिखाते हुए उससे स्कूल जाने का वायदा लिया| स्कूल के बच्चों की छोटी सी फिल्म भी दिखाई गयी कि उसके साथी कैसे उसे उत्साहित करके बुला रहे हैं| यह सब देखकर पता नहीं मन कुछ खराब सा होने लगा, शोर शराबा सा लगने लगा| खाना खा रही अम्मांजी से मैंने बस इतना ही कहा “आप सही कहती थी कि बहू अपनी छोटी की आवाज़ में बहुत मिठास है इसे सबके सामने मत गवाया कर, बच्चे को नज़र लग जाती है”| अम्मांजी ने ठंडी सांस भरकर कहा खाली नज़र ही  नहीं लगती है .... आजकल तो बिचारे ये बच्चे बड़ों के अरमानों का व्यावसायिक मोहरा बनकर रह  गए हैं -----कह कर बगल में रखा टी वी का रिमोट दबा दिया|
मनीषा सक्सेना
प्रयागराज


Monday 18 May 2020

Greeting Cards for Kids

बच्चों को जन्मदिन ,परीक्षाओं, या बीमार होने पर जल्दी से ठीक होने के लिये हम लोग कार्ड देते हैं ।ईसमें से ये -----
                                                              दिल व  भेडे
                                                                  लटकते